संतान प्राप्ति और दीर्घायु के लिए स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी – जन उजाला विशेष

देहरादून/रूपाली भंडारी : आज नवरात्रि का पंचवां दिन है आज के दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। यह दिन स्कंद माता को समर्पित है। पुरानी कथाओं के अनुसार तारकासुर नाम एक राक्षस ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कर रहा था। उस कठोर तप से ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर उनके सामने आए। ब्रह्मा जी से वरदान मांगते हुए तारकासुर ने अमर करने का वरदान मांगा। तब ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे एक न एक दिन मरना ही होता है निराश होकर उसने ब्रह्मा जी से भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही उसकी मृत्यु हो ऐसा वरदान मांगा। तारकासुर की ऐसी धारणा थी कि भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे। इसलिए उसकी मृत्यु कभी नहीं होगी। उसने लोगों पर हिंसा करना शुरू कर दिया। तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और तारकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब शिव जी ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं।

माँ स्कंदमाता

 

बता दें कि माता को अत्यंत दयालु भी माना जाता है। कहते हैं देवी दुर्गा का यह स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है। वहीं प्रेम और ममता की मूर्ति स्‍कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और मां आपके बच्‍चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं।भगवान शिव की अर्धांगिनी के रुप में मां ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है इसलिए मां दुर्गा के इस रुप को स्कंदमाता कहलाया। मां स्कांदमाता की चार भुजाएं हैं। मां भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर सवार रहती है।

जन उजाला भी आप सभी के मंगलमय जीवन लिये मां से कामना करता है।