देहरादून/वरदा शर्मा : आज नवरात्री का आठवा दिन है यानि महागौरी का दिन क्या आपको पता है शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को आठ साल की आयु में ही अपने पूर्व जनम में हुए घटनाओ घटनाओं का आभास होने लग गया था। यह होने के पश्चात् उन्होंने इसी उम्र से ही भगवान शिव को अपना पति मानना शुरू कर दिया था और महादेव को अपने स्वामी के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करनी आरम्भ कर दी थी। इसलिए अष्टमी को महागौरी की पूजा करने का रिवाज़ है। जो लोग 9 दिन का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आठवें दिन का व्रत कर पूरे 9 दिन का फल प्राप्त करते हैं।
जाने माँ महागौरी की कहानी :-
पुरानी कथाओं के अनुसार देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों को ही ग्रहण करती थी। इस के बाद में माँ पार्वती ने सिर्फ वायु पीकर ही तप करना शुरू कर दिया था। तपस्या करने के फल स्वरूप माता पार्वती को विशाल गौरव प्राप्त हुआ है और इससे माँ पार्वती महागौरी के नाम से भी जानने लगे। माता की कठोर तपस्या से ख़ुश होकर महादेव ने उनको गंगा नदी में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय देवी पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के रूप में प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं।