शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : देश की राजधानी दिल्ली इस समय किसान आंदोलन की वजह से गरमाई हुई है । राकेश टिकैत के गाजीपुर बॉर्डर पर निकले आंसुओं को लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत भी हो रही है । किसानों और केंद्र सरकार का अभी फिलहाल फैसला होता नहीं दिख रहा है । आइए जब तक आप को सपनों के शहर मुंबई लिए चलते हैं । जब मायानगरी की चर्चा होगी तो हिंदी सिनेमा जरूर याद आता है । आज 29 जनवरी है । इस तारीख को बॉलीवुड और सिनेमा प्रशंसकों को सुपरहिट फिल्म ‘कटी पतंग’ याद आ ही जाती है । जी हां हम बात कर रहे हैं राजेश खन्ना और आशा पारेख की धमाल मचाने वाली फिल्म कटी पतंग की । आज इस फिल्म को सिनेमा पर्दे पर रिलीज हुए पूरे 50 साल हो चुके हैं । चलिए आपको 29 जनवरी वर्ष 1971 के दौर में लिए चलते हैं, जब कटी पतंग सिनेमा पर्दे पर रिलीज हुई थी । यह वह दौर था जब बॉलीवुड में राजेश खन्ना का राज हुआ करता था । कटी पतंग फिल्म 1969 और 1971 के बीच राजेश खन्ना की लगातार 17 हिट फिल्मों में से एक है और चार फिल्मों में से दूसरी है जिसमें उनकी आशा के साथ जोड़ी बनाई गई थी । इसके अलावा फिल्म में प्रेम चोपड़ा, बिंदू, नासिर हुसैन जैसे कलाकारों की प्रमुख भूमिकाएं थी। डायरेक्टर शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया था । जिसने लगभग चार करोड़ रुपये का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था। मौजूदा समय में बॉलीवुड भी नया है, नई पीढ़ी के सिनेमा प्रशंसक हैं, इसके बावजूद उस दौर की फिल्में हमेशा याद की जाती रहेंगी ।
गुलशन नंदा के लिखे गए उपन्यास पर आधारित थी फिल्म ‘कटी पतंग’ :-
बता दें कि ये फिल्म उपन्यासकार गुलशन नंदा के उपन्यास ‘कटी पतंग’ पर आधारित है। फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है कि कटी पतंग की कहानी एक ऐसी लड़की की है जो कई नाजुक परिस्थितियों में घिरी है । फिल्म के बनने से पहले ‘कटी पतंग’ उपन्यास बाजार में आ गया और यह उस समय का सबसे ज्यादा बिकने वाला उपन्यास साबित हुआ । इसके बाद स्क्रिप्ट में ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि यह अपने आप में एक मुकम्मल स्क्रिप्ट जैसा था । इसमें बस संगीत और धुनों को पिरोया गया। फिल्म के लिए जब लीड एक्ट्रेस की तलाश की जा रही थी तो एक विधवा का किरदार निभाने के लिए मुमताज और शर्मिला टैगोर जैसी बड़ी एक्ट्रेस ने इनकार कर दिया था । बाद में अभिनेत्री आशा पारेख इस रोल के लिए हां कर दी । आशा पारेख द्वारा निभाई गई विधवा की भूमिका बहुत चुनौतीपूर्ण थी। आशा के निभाए गए फिल्म में इस किरदार को प्रशंसक आज भी नहीं भूले हैं । बता दें कि इस रोल के लिए आशा पारिख को उस साल के श्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड मिला ।
बक्शी के लिखे गीत, आर डी बर्मन के सजे संगीत और किशोर की आवाज ने धूम मचाई थी :-
फिल्म कटी पतंग के गानों ने उस दौर में जबरदस्त धूम मचाई थी । आनंद बक्शी के लिखे गीतों को मशहूर संगीतकार आर डी बर्मन ने इस फिल्म को अपने संगीत से सजाया था । ‘ये शाम मस्तानी मदहोश किए जाए’, ‘ये जो मोहब्बत है’, ‘प्यार दीवाना होता है’ और ‘जिस गली में तेरा घर न हो बालमा’ सुनकर आज भी नहीं लगता कि इनके जादू की लौ बुझ गई हो। तपिश भी बरकरार है, कशिश भी। फिल्म में एक होली गीत ‘आज न छोड़ेंगे’ ने भी काफी धूम मचाई थी। इस फिल्म में अभिनेता राजेश खन्ना के लिए किशोर कुमार द्वारा गाए गए गाने फिल्म की सफलता का कारण थे। जबकि मुकेश ने भी उनके लिए एक गीत गाया था । इन गानों में किशोर कुमार के गाये गए, ‛प्यार दीवाना होता है’, ‛ये शाम मस्तानी’, ‛ये जो मोहब्बत है’ और ‛आज न छोड़ेंगे’ शामिल हैं, जबकि ‛जिस गली में तेरा घर’ को मुकेश ने आवाजें दी थी। इसके अलावा लता मंगेश्कर का गाया हुआ ‛ना कोई उमंग है’ और आशा भोंसले-आरडी बर्मन का ‛मेरा नाम है शबनम’ शामिल हैं। इन गानों को आज भी संगीत प्रेमी भूल नहीं पाए हैं । यही नहीं आज देशभर के शहरों में इन मधुर गीतों की आवाज सुनाई दे जाती है ।