शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : यह कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने में चंद दिन ही रह गए हैं और उसकी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है । आज बात करेंगे दक्षिण भारत के छोटे से केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की । समुद्र के किनारे बसा बेहद सुंदर यह केंद्र शासित राज्य कई दिनों से देश की राजनीति में छाया हुआ है । कांग्रेस सरकार अल्पमत में आने के बाद नवनियुक्त राज्यपाल टी सुंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी को आज शाम 5 बजे ‘फ्लोर टेस्ट’ कराने को कहा है । फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले कांग्रेस को दो झटके और लगे । कांग्रेस और उसके सहयोगी दल डीएमके के एक-एक विधायक ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। बता दें कि कांग्रेस विधायक लक्ष्मीनारायणन और द्रमुक विधायक के. वेंकटेशन ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब सत्ता पक्ष के पास 12 विधायक बचे हैं, जिसमें कांग्रेस के 9, दो डीएमके और एक निर्दलीय विधायक हैं । जबकि विपक्षी विधायकों की संख्या 14 हो गई है, जिसमें एआईएनआरसी, एआईएडीएमके और भाजपा के विधायक शामिल हैं । इस हिसाब से विपक्ष के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत दिखाई दे रहा है । मालूम हो कि इससे पहले चार कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, विधायक ए. जॉन कुमार, ए नमस्सिवम, मल्लादी कृष्णा राव और ई थेपयन्थन शामिल हैं। हालांकि अब 5 कांग्रेस और एक डीएमके विधायकों के इस्तीफे के बाद स्थिति में बदलाव आया है । इनके अलावा कांग्रेस विधायक एन. धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था । बता दें कि दो कांग्रेसी विधायक नमिचीवम और ई थिपिनदान इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ताजा आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत जुटाने की स्थिति में नहीं है। अब नारायणसामी की सरकार जाना लगभग तय माना जा रहा है । अल्पमत में आने के बाद मुख्यमंत्री वी नारायणसामी पर विपक्ष लगातार इस्तीफे का दबाव डाल रहे हैं । पुडुचेरी के बदलते सियासी हालातों पर भाजपा केंद्रीय आलाकमान नजर लगाए हुए हैंं, पार्टी के रणनीतिकार अब यहां अपनी संभावना तलाशने में जुटे हुए हैं ।
दो दिन के दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी भी नहीं निकाल पाए संकट का समाधान :-
बता दें कि पुडुचेरी कांग्रेस का शुरू से ही गढ़ माना जाता रहा है । अब कांग्रेस अपने ही गढ़ में सरकार बचाने की जद्दोजहद में लगी हुई है । पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पुडुचेरी में दो दिन के दौरे पर गए थे लेकिन वह भी अपनी सरकार का समाधान निकाल नहीं पाए । पुडुचेरी विधानसभा में कांग्रेस की नारायणसामी सरकार को डीएमके के तीन और एक निर्दलीय का समर्थन भी हासिल था । आइए समझते हैं इस केंद्र शासित राज्य की विधानसभा को । पुडुचेरी की बनावट देखें तो यहां मुख्य रूप से पांच दल सक्रिय हैं। कुल 33 सीटों की छोटी सी पुडुचेरी विधानसभा में 30 विधायक चुनकर आते हैं। तीन सदस्य गैर निर्वाचित हैं। कांग्रेस ने 15 सीटें जीतकर द्रमुक के तीन व एक निर्दलीय सदस्य के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस के 9 सदस्य ही रह गए हैं अगर दो डीएमके और एक निर्दलीय को मिला दे तो सत्ता पक्ष के पास 12 विधायक हैं । आज शाम को होने जा रहे फ्लोर टेस्ट में अब नारायणसामी के लिए सरकार बचाने का रास्ता बेहद ही कठिन हो गया है । क्योंकि सत्ता पक्ष को सरकार बचाए रखने के लिए कम से कम 15 विधायकों की जरूरत है । बता दें कि अप्रैल-मई में बंगाल, आसाम, तमिलनाडु, केरल के साथ पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने हैं । ऐसे में भारतीय जनता पार्टी दक्षिण के इस राज्य में अपना नया सियासी दांवपेच खेल रही है ।
सियासी हलचल के बीच पीएम मोदी 25 फरवरी को पुडुचेरी जाएंगे :-
बता दें कि इस केंद्र शासित प्रदेश की सियासी हलचल पर भाजपा केंद्रीय आलाकमान की पिछले काफी समय से नजर थी । केंद्र सरकार ने पांच दिन पहले पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को हटा दिया था। उनकी जगह तेलंगाना की गवर्नर डॉ. तिमिलिसाई सुंदरराजन को एलजी बनाया गया। मुख्यमंत्री नारायणसामी से विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार ने किरण बेदी को हटाकर पुडुचेरी में कांग्रेसियों को कोई मौका नहीं दिया । अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियासी हलचल के बीच 25 फरवरी को पुडुचेरी जा रहे हैं। पीएम मोदी का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस विधानसभा में अपना बहुमत खो चुकी हैै। यहां होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है । प्रधानमंत्री यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे । दूसरी ओर मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने एआईएडीएमके और भाजपा पर अपनी सरकार गिराने के आरोप लगाए हैं । आज अगर पुडुचेरी की मौजूदा कांग्रेस सरकार और विपक्षी पार्टियां सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत जुटाने में सक्षम नहीं होती हैं तो राज्य में अगले तीन महीनों के लिए राष्ट्रपति शासन लग सकता है ? क्योंकि इस केंद्र शासित प्रदेश में भी तीन महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं ।