शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : आज 14 फरवरी है । यह तारीख हर साल पूरे देशवासियों को नहीं भूलती है । इस दिन आतंकियों ने अपने सफाए की शुरुआत भी कर ली थी । यह अटैक भारत की अस्मिता पर भी था । आइए आपको 2 वर्ष पीछे लिए चलते हैं । आज के दिन जब दुनिया वैलेंटाइन मना रही थी उसी दौरान पुलवामा में आतंकवादियों ने हमारे जवानों पर अटैक कर दिया था। जो देश के इतिहास में ‘पुलवामा अटैक’ के नाम से लोगों के जेहन में बना हुआ है । पुलवामा हमला देश के इतिहास में एक ऐसी घटना के रूप में याद किया जाता रहेगा, जब भारत सरकार ने आतंकियों का चंद दिनों में सफाया कर इसका बदला लिया था। दो वर्ष पहले पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने देश के सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया। कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी थी । इसमें 40 जवान शहीद हो गए और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। घटनास्थल पर ऐसा वीभत्स दृश्य देखकर पूरा हिंदुस्तान गुस्से में था । इस घटना के बाद देश में ‘राष्ट्रवाद का जबरदस्त उफान’ शुरू हो गया था। पूरे देश से आतंकियों से बदला लेने की आवाजें उठने लगी । पुलवामा हमला आतंकियों की ओर से देश की अस्मिता पर चोट थी। इसका देश ने बदला लिया। पुलवामा हमला इसलिए याद किया जाता रहेगा क्योंकि इसने देश को गहरे जख्म दिए। लेकिन यही वह घटना है जिसने देश की राजनीति का रुख मोड़ दिया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में बांट दिया। आतंकियों की कायराना हरकत के बाद पाकिस्तान की दुनिया के देशों में कड़ी आलोचना हुई और वह अलग-थलग पड़ गया। आज बहादुर सैनिकों की शहादत को दो वर्ष पूरा होने पर पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, और राहुल गांधी समेत सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी है ।
पुलवामा अटैक का बदला लेना मोदी सरकार के लिए चुनौती बन गया था :-
यह आत्मघाती हमला सुरक्षाबलों पर अब तक सबसे बड़ा हमला था। आतंकवादियों को सबक सिखाने की बात करने वाली मोदी सरकार के लिए लोकसभा चुनाव से पहले यह घटना बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई। विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर थे और मोदी सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी थी। हालांकि इस घटना के तुरंत बाद केंद्र सरकार की ओर से संकेत दे दिए गए थे कि भारत की ओर से सख्त कार्रवाई की जा सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका था। पूरे देश में पाकिस्तान को सबक सिखाने की आवाज उठ रही थी। पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया। हमारे वीर जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों के गढ़ का पूरा सफाया कर दिया। 26 फरवरी को खबर आई कि रात तीन बजे भारतीय वायुसेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में 100 किलोमीटर घुसकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर बम गिराए। ऑपरेशन बालाकोट में एयरफोर्स के 12 मिराज फाइटर प्लेनों का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले में जैश के कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
ऑपरेशन बालाकोट के बाद पीएम मोदी ताकतवर नेता के रूप में उभरे :-
ऑपरेशन बालाकोट के बाद संसद ने जम्मू-कश्मीर से जुड़ा एक ऐसा फैसला लिया जिसे देश का बहुत महत्वपूर्ण बदलाव कहा जाएगा। पुलवामा अटैक का बदला लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि विश्व भर में एक ताकतवर नेता के रूप में उभरी । इसका फायदा मोदी सरकार को मिला। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को शानदार जीत मिली। जिसके बाद देश एक बड़े बदलाव की राह पर आगे बढ़ गया। पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली इस कार्रवाई के बाद कश्मीर में पाकिस्तान की दखल पूरी तरह रोकने, अलगाववाद पर काबू पाने और आतंक की जड़ों पर प्रहार करने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए आर्टिकल 370 के प्रावधान समाप्त कर दिए। छह अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने वाला बिल लोकसभा में पास हो गया। इस बिल को सरकार के एक दिन पहले ही राज्यसभा से पारित करवा लिया था । इसके अलावा धारा 370 हटाने का संकल्प पत्र भी पारित हो गया। इस बिल के पास होने के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए। उक्त बिल और संकल्प पत्र के पारित होने के बाद कश्मीर में हालात बिगड़ गए और वहां लंबे अर्से तक कर्फ्यू लगा रहा। राज्य के तमाम अलगाववादी नेताओं के अलावा मुख्य धारा के नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया। पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में आम जनजीवन सामान्य हो चला है । आज पुलवामा अटैक की दूसरी बरसी पर एक बार फिर फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद किया गया है ।