आरजेडी एक बार फिर जेडीयू से हाथ मिलाने के लिए मेहरबान, क्या बिहार में होगा उलटफेर – एक्सक्लूसिव खबर

शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : उफ़ ! ये राजनीति । स्वार्थ, रसूख और पावर के लिए राजनीतिक दल अपने उसूल और आदर्शों को ताक पर रखने में देर नहीं लगाते । सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए जा सकते हैं, साथ ही ‘बेमेल गठबंधन’ करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ बिहार की राजनीति में इन दिनों चल रहा है। बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले आपको एक महीने पीछे लिए चलते हैं, नवंबर महीने में राज्य विधानसभा चुनाव हुए थे । बिहार में भाजपा और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाई थी । ‘पिछले नवंबर महीने की 16 तारीख को जब भाजपा के सहयोग से जेडीयू के नेता नीतीश कुमार बिहार में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उस समय किसी ने सोचा नहीं था की अगले महीने दिसंबर में ही सरकार डगमगाने लगेगी’, डेढ़ महीने भी नहीं हुए कि भाजपा-जेडीयू के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई है कि अब राज्य में सत्ता के परिवर्तित होने की अटकलें भी बढ़ती जा रही हैं’ । इसका कारण है कि न तो भाजपा को नीतीश कुमार पसंद आ रहे हैं न ही नीतीश को भाजपा पसंद आ रही है, यानी दोनों ओर से ‘सियासी मोलभाव’ शुरू हो चुका है । इस बीच बिहार में जेडीयू की धुर विरोधी राष्ट्रीय जनता दल भी अब नए समीकरण साधने में जुट गई है । ‘आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव को जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पसंद आने लगे हैं’ । जबकि पिछले महीने हुए राज्य विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक दूसरे पर इतनी जबरदस्त सियासी हमले किए थे कि राजनीति की मर्यादा ताक पर रख दी थी । लेकिन अब दोनों में नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं । अब आपको बताते हैं जेडीयू और भाजपा में दरार पड़नी कहां से शुरू हुई ।

भाजपा की बढ़ती डिमांड की वजह से बिहार में कैबिनेट मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका :-

भाजपा और जेडीयू बीच बढ़ती दरार की वजह से अभी तक बिहार में दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका है । इस देरी का ठीकरा नीतीश भाजपा पर फोड़ चुके हैं। दूसरी तरफ राज्य में बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा की मांग बढ़ती जा रही है। वह पहले ही विधान परिषद के सभापति का पद और विधानसभा अध्यक्ष का पद ले चुकी है। अब भाजपा के एक नेता ने गृह विभाग छोड़ने की मांग नीतीश से कर दी है। उसके बाद पिछले दिनों ‘अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने जदयू के छह विधायकों को अपने पाले में कर लिया। इस पर जदयू ने बदले की कार्रवाई करते हुए यह फैसला ले लिया कि वह अन्य राज्यों में अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी, उसके बाद मध्यप्रदेश में भाजपा शासित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लव जिहाद पर कानून बनाकर जेडीयू को और भड़का दिया’ । भाजपा के इस नए ‘लव जिहाद’ कानून पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता केसी त्यागी और जेडीयू के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है । इसके अलावा जेडीयू को अब लगने लगा है कि भाजपा बिहार सरकार पर दबाव की राजनीति बना रही है । गौरतलब है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से भाजपा 74 और जदयू 43 जीती है। दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल ने सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, उसने 75 सीटों पर विजय प्राप्त की है । इसके अलावा कांग्रेस को 19 सीटों पर सफलता मिली। यह सब जानते हैं कि इस बार बिहार के चुनाव में भाजपा मजबूत और जदयू कमजोर हुई है। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव पूर्व किए गए वादे के मुताबिक नीतीश को मुख्यमंत्री पद तो दे दिया लेकिन अब उसे अखरने लगा है ।

राजद एक बार फिर से जेडीयू के साथ राज्य में सत्ता की वापसी करना चाहता है :-

वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाई थी । इसमें नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी वहीं तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन उस समय परिस्थितियां जेडीयू के पक्ष में थी, इसलिए एक साल के अंदर ही आरजेडी से मतभेद बढ़ने पर जेडीयू अलग हो गई । उसके बाद बीजेपी ने जेडीयू को समर्थन देकर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया और भारतीय जनता पार्टी के सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री बने थे । ‘उस समय बिहार में भाजपा नीतीश को बड़ा भाई मान कर चल रही थी’, लेकिन इस बार सीटों के समीकरण को देखते हुए भाजपा का पलड़ा भारी है’ । आज भले ही नीतीश बाबू मुख्यमंत्री हैं लेकिन सत्ता भाजपा के इर्द-गिर्द ही घूम रही है । पांच साल बाद एक बार फिर तेजस्वी नीतीश पर फिदा हैं ।‌ ‘बता दे कि भाजपा-जदयू में सियासी संघर्ष के बीच राजद ने नीतीश पर बड़ा पासा फेंका है, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश अगर तेजस्वी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दें तो विपक्ष उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती हैै’ । यह प्रस्ताव देकर राजद ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है। वह नीतीश की अगुवाई में भाजपा को केंद्र में रोक पाएगी और बिहार का शासन भी हासिल कर सकती है। यहां हम आपको बता दें कि बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले ही कह दिया है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव होंगे। दूसरी ओर ‘कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि भाजपा की ओर से की जा रही फजीहत के बाद नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए’ । कांग्रेस सांसद ने आगेे कहा कि नीतीश की अंतरात्मा जागेगी तो खुद ही छोड़ेंगे। मालूम हो कि बिहार में विधानसभा चुनाव आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था । बीजेपी के आंख दिखाने पर पिछले दिनों नीतीश ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते थे कि मुख्यमंत्री बनें, लेकिन सहयोगी दल के कहने पर उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली। ‘गौरतलब है कि एक समय नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जाते थे, लेकिन इस दौड़ में नरेंद्र मोदी ने उन्हें मात दे दी थी। इस बार बिहार चुनाव नतीजों के बाद नीतीश मुख्यमंत्री जरूर बन गए हैं लेकिन उनका सियासी ग्राफ गिरा है । जिस प्रकार से बीजेपी-जेडीयू की तल्खी बढ़ती जा रही है उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द बिहार की सत्ता में उलटफेर हो सकता है’ ?

 

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