गुलाम नबी की विदाई पर ‘अपनी दोस्ती को याद कर पीएम मोदी सदन में नहीं रोक पाए आंसू’ – विशेष रिपोर्ट

शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को राज्यसभा में अलग अंदाज में दिखाई दिए थे लेकिन आज राज्यसभा में एक और संबोधन के दौरान वह अपने आंसू रोक नहीं पाए । पीएम मोदी ने सदन में भाषण देते हुए एक और संदेश दिया कि हम भले ही अलग-अलग राजनीतिक दलों के क्यों न हो लेकिन सभी परिवार की तरह हैं । हम भले ही अलग अलग विचारधारा वाली पार्टी से जुड़े हुए हैं लेकिन हम लोगों के रिश्ते मधुर रहेंगे । आज मौका था कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद समेत चार राज्यसभा सांसदों की विदाई का । राज्य सभा में बोलते हुए पीएम मोदी गुलाम नबी आजाद की दोस्ती को याद करते हुए भावुक हो गए । आइए आपको बताते हैं पीएम ने क्या कहा । एक आतंकी घटना का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था । हम दोनों की बहुत गहरी निकटता थी । एक बार गुजरात के यात्री जम्मू-कश्मीर घूमने गए और आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया । इस हमले में आठ लोग मारे गए । सबसे पहले गुलाम नबी जी ने मुझे फोन किया । इतना कहते ही पीएम अपने आंसू रोक नहीं पाए । पीएम मोदी का यह रूप देख सदन भी खामोश हो गई । उसके बाद फिर पीएम मोदी ने पानी पिया और अपने आप को संभाला। पीएम ने आगे कहा कि वह फोन मुझे सूचना देने का नहीं था । उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उस वक्त प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे । मैंने उन्हें फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए शव लाने के लिए तो सही रहेगा । उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था करता हूं । इसके बाद गुलाम नबी आजाद जी का एयरपोर्ट से फिर से फोन आया। जैसे कोई अपने परिवार की चिंता करता है, वैसे ही चिंता गुलाम नबी आजाद ने उस दिन की । वो मेरे लिए बहुत भावुक पल था। प्रधानमंत्री की गुलाम नबी आजाद के बारे में कही गई यह बातें कांग्रेस को जरूर असहज कर गई । बता दें कि इससे पहले भी पीएम मोदी गुलाम नबी आजाद से अपनी दोस्ती के बारे में कई बार सार्वजनिक रूप से इजहार कर चुके हैं।

पद-सत्ता जीवन में आती-जाती रहती है लेकिन उसे निभाना महत्वपूर्ण होता है :-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि पद और सत्ता जीवन में आती जाती रहती है लेकिन उसे संभालना और निभाना महत्वपूर्ण होता है । पीएम ने कहा कि इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी को घटना और अनुभवों के आधार पर मैं आदर करता हूं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक बार मैं और गुलाम नबी जी लॉबी में बातचीत कर रहे थे। पत्रकार ये देख रहे थे। जैसे ही बाहर आए, उन्होंने घेर लिया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे बीच वाद-विवाद होता है। लेकिन, ये परिवार है और हम अपना सुखदुख बांटते हैं। गुलाम नबी जी ने बंगले में जो बगीचा बनाया है, वो कश्मीर की घाटी की याद दिला दे। ये उसे समय देते हैं और नई-नई चीजें जोड़ते हैं। उन्होंने अपनी सरकारी आवास को भी इतने प्यार से संभाला है। हमारी निकटता रही है। शायद ही ऐसी कोई घटना मिल सकती है, जब हमारे बीच संपर्क सेतु न रहा हो। पीएम ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता और विनम्रता देश के लिए कुछ करने की चाह, कभी उनको चैन से बैठने नहीं देगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जो भी दायित्व वह संभालेंगे, जरूर अपना योगदान देंगे । यहां हम आपको बता दें कि आज जिन राज्यसभा सांसदों की विदाई हुई है उनके नाम इस प्रकार हैं। गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मोहम्मद फयाज और नाजिर अहमद हैं ।

LEAVE A REPLY