शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : जय श्री राम । जी हां आज हमारा भी चर्चा का विषय इसी नारे पर केंद्रित है । 24 घंटे बीत जाने के बाद भी जय श्रीराम का नारा सियासी बाजार में सुर्खियों में बना हुआ है । रविवार को इसी मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेता आपस में उलझे हुए हैं, दोनों ओर से बयानबाजी जारी है । शनिवार शाम को सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने लगे जय श्री राम के नारों के बाद बंगाल की राजनीति गर्म है । ‘नेताजी की जयंती पर ममता के मंच पर भाषण न देने पर भाजपाइयों को जैसे बैठे-बिठाए मौका मिल गया है । ममता के भाषण देने से इनकार को बीजेपी ने अब अवसर में बदल लिया है और इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, वहीं बीजेपी के जय श्रीराम के नारों ने तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को एक बार फिर उलझा दिया’। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बीजेपी जय श्रीराम के नारों के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को बंगाल में धार दे रही है। मगर ममता की नाराजगी से बीजेपी के एजेंडे को और सियासी मजबूती मिली है । नेताजी की जयंती पर ममता नारों को नजरअंदाज भी कर सकतीं थीं, लेकिन गुस्सा जताकर उन्होंने बीजेपी का काम और आसान कर दिया । यहां हम आपको बता दें कि आने वाले महीनों में बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं, इसी को लेकर पिछले काफी दिनों से भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच में सियासी संग्राम चल रहा है ।
ममता की जय श्रीराम के प्रति नफरत को बीजेपी नेताओं ने चुनाव से जोड़ दिया है :-
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जय श्री राम के प्रति नफरत पर भारतीय जनता पार्टी को चुनावी मौका मिल गया है, बीजेपी ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से जोड़ा । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जय श्रीराम के नारे से स्वागत को ममता बनर्जी अपमान मानती हैं। विजयवर्गीय ने कहा कि ममता ने बहुत ही पवित्र मंच पर जय श्रीराम के नारे पर राजनैतिक एजेंडा सेट किया। बीजेपी बंगाल प्रभारी ने कहा कि दीदी की अल्पसंख्यकों को खुश करने की तुष्टिकरण नीति है। दूसरी ओर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके लिए ‘जय श्री राम’ का नारा सांड़ को लाल कपड़ा दिखाने के समान है । वहीं मध्य प्रदेश के भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने ममता बनर्जी को रामायण की एक प्रति भेजी है। उन्होंने कहा कि इसे पढ़ने और समझने के बाद दीदी जय श्रीराम के नारे का विरोध नहीं करेंगी। भाजपा नेताओं के जवाब में तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां ने ट्वीट के जरिए विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने लिखा ‘राम का नाम गले लगाके बोलो न कि गले दबाके ।
वर्ष 2019 में दीदी के जय श्री राम पर उतारे गए गुस्से के बाद बीजेपी ने इसे बनाया था मुद्दा :-
यहां आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में यह पहला मौका नहीं है, जब जय श्रीराम के नारों पर सियासी घमासान मचा है। इससे पूर्व भी जयश्री राम के नारों पर गुस्से के कारण ममता बनर्जी सुर्खियों में रह चुकीं हैं। बता दें कि मई 2019 में उत्तरी 24 परगना जिले के भाटपारा से काफिले के गुजरने के दौरान कुछ लोगों के नारा लगाने पर भी सीएम ममता बनर्जी भड़क उठीं थीं, उन्होंने गाली देने का आरोप लगाते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार करा दिया था। इस घटना के बाद बैरकपुर से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने जून 2019 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जय श्री राम लिखा हुआ 10 लाख पोस्ट कार्ड भेजने का भी एलान किया था। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री के कार्यालय व आवास में डाक से लाखों पोस्टकार्ड भेजे गए, जिसको लेकर तृणमूल व भाजपा के बीच जमकर राजनीति हुई थी। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के विधायक रह चुके अर्जुन सिंह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद ही भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को हिंदुत्व वाले एजेंडे पर घेरती आ रही है।