नई दिल्ली : देश के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के चौथे संस्करण स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 का शुभारंभ हुआ।
इस वर्ष यह सर्वेक्षण 4 से 28 जनवरी 2019 के दौरान 4237 शहरों और कस्बों में कराया जाएगा। यह सर्वेक्षण पूरी तरह से डिजिटल एवं कागज रहित (पेपरलेस) होगा और इसे 28 दिनों की रिकॉर्ड अवधि में पूरा किया जाएगा।
केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हरदीप एस पुरी ने आधिकारिक तौर पर प्रारंभ किया। शहरों में बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम उठाते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने जनवरीए 2016 में स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 कराया था जिसमें 73 शहरों की रैंकिंग की गई थी। इसके बाद जनवरी.फरवरी 2017 के दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 कराया गया था जिसके तहत 434 शहरों की रैंकिंग की गई थी। सर्वेक्षण का तीसरे चरण अर्थात स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 बड़े पैमाने पर कराया गया था। इसके तहत 4203 शहरों एवं कस्बों में सर्वेक्षण कराया गया था जिसे 66 दिनों की रिकॉर्ड अवधि में पूरा किया गया। इसके साथ ही यह विश्व में अब तक का सबसे व्यापक स्वच्छता सर्वेक्षण बन गया जिसके दायरे में लगभग 40 करोड़ लोग आए।
इस अवसर पर हरदीप एस पुरी ने बताया कि किसी स्वतंत्र थर्ड पार्टी द्वारा कराए जाने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण का उद्देश्य बड़े पैमाने पर नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना कचरा मुक्त एवं खुले में शौच मुक्त शहरों की दिशा में की गई पहलों की निरंतरता सुनिश्चित करना, किसी तीसरे पक्ष के प्रमाणन द्वारा सत्यापित कराए जाने वाले विश्वसनीय निष्कर्ष उपलब्ध कराना ऑनलाइन प्रक्रियाओं के जरिये वर्तमान प्रणालियों को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना और शहरों एवं कस्बों को लोगों के रहने की दृष्टि से बेहतर बनाने की दिशा में काम करने के बारे में समाज के सभी तबकों के बीच जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण का एक उद्देश्य शहरों एवं कस्बों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना हैए ताकि वे स्वच्छ शहरों के निर्माण की दिशा में नागरिकों को बेहतर ढंग से सेवाएं मुहैया कराने की ओर अग्रसर हो सकें।
साथ ही पुरी ने कहा कि एसबीएम स्वच्छ भारत मिशन ओडीएफ़ और एसबीएम ओडीएफ़़ की दिशा में विभिन्न शहरों में हुई प्रगति का भी उल्लेख किया है। जहां एक ओर एसबीएम ओडीएफ़ का उद्देश्य शौचालयों की स्वच्छता एवं रखरखाव को सुनिश्चित करते हुए उनके उपयोग को निरंतर जारी रखना है वहीं दूसरी ओर एसबीएम ओडीएफ़़ के तहत मल के सुरक्षित एवं समुचित प्रबंधन सहित संपूर्ण स्वच्छता मूल्य श्रृंखला के जरिये स्वच्छता को निरंतर बनाए रखने पर फोकस किया जाता है।
अभी तक 7 शहरों इंदौर, उज्जैन, खरगोन, शाहगंज, राजनंदगांव, अंबिकापुर और भिलाईद्ध को ओडीएफ़़ और 35 शहरों को ओडीएफ़ घोषित या प्रमाणित किया गया है।
मंत्रालय के अनुसार 83 प्रतिशत वार्डों से घर-घर से कचरा उठाया जा रहा है। 53 प्रतिशत वार्ड कचरे को अलग-अलग एकत्र कर रहे हैं और 46 प्रतिशत उत्पन्न कचरे की वैज्ञानिक विधि से प्रोसेसिंग की जा रही है।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 की मुख्य बातों का उल्लेख किया और निम्नलिखित जानकारियां दीं :-
यह ऑनलाइन एमआईएस के जरिये पूरी तरह से डिजिटल सर्वेक्षण होगा।
4 बड़े स्रोतों यथा ष्सेवा स्तर पर प्रगतिष्, प्रत्यक्ष अवलोकन, नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया और प्रमाणन से आंकड़ों का संग्रह किया जाएगा।
प्रमाणन कचरा मुक्त शहरों और खुले में शौच मुक्त प्रोटोकॉल की स्टार रेटिंग आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने शहरों का एक महत्वपूर्ण अवयव शुरू किया है।