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देहरादून/स्वप्निल : महज 13 वर्षो से अपने बोल्सिंग करियर की शुरुआत करने वाली निकहत जरीन आज मात्र 29 वर्ष की ही हो रही है परंतु उनकी उपलब्धियां ऐसी है कि हर किसी पर प्रभाव छोड़ जाती है। तेलंगाना के निजामाबाद में जन्मे निकहत ने 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में गोल्ड जीता, 2011 में तुर्की में उन्होंने पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीता, फिर 2013 में बुल्गारिया में सिलवर तो 2014 में रूस में फिर से गोल्ड मेडल हासिल किया। उसके बाद निकहत जरीन 2015 में 16वी सिनियर वुमेन नेशनल बोल्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता, फिर थाईलैंड में सिलवर तो सिफिया में भी गोल्ड जीत कर इतिहास रच दिया। इसके बाद जरीन को बेस्ट बौक्सर और निजामाबाद शहर का ब्राण्ड एम्बेसडर भी बनाया गया।
बता दें कि राजधानी देहरादून में 38वे राष्ट्रीय खेल दौरान ‘मौली संवाद’ में भाग लेकर विश्व चैम्पियन भारतीय बौक्सर निकहत जरीन ने खिलाडियों और युवाओं में बोल्सिंग के हुनर निखारे। उन्होंने युवाओं को सम्बोधित कर कई टिप्स दिए।
इस दौरान जन उजाला के संपादक स्वप्निल से खास बातचीत करते हुये बातया कि मुझे उभरते हुये युवा मुक्केबाजों को देख कर गर्व महसूस होता है कि इनकी कड़ी मेहनत से एक दिन यह पूरे देश का नाम जरुर रौशन करेंगे और अपने देश के कई अंतराष्ट्रीय मैडल ले कर आएंगे। वही उन्होंने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेल में सारे खिलाड़ी अच्छा खेल दिखा रहे है। उनका यह भी कहना था खिलाड़ी सिर्फ अपने ही खेल पर फोकस करें, कई बार खिलाड़ी 2 3 खेल में एक साथ जोर आजमाते जो गलत है। आगे बढ़ने के लिये कठिन परिश्रम और एकाग्रता बेहद जरुरी है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा, यहां का मौसम, वेश भुषा और खान पान के बारे में बहुत सुना था, आज इन सबको महसूस कर मुझे बेहद खुशी हो रही है।
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