अपने इन योगदानों से ही बापू बनें “राष्ट्रपिता” – गाँधी जयंती विशेष

देहरादून/रूपाली भंडारी : भारत की स्वतंत्रता के एक बड़े नायक ‘मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हे प्यार से लोग बापू भी कहते है। ये एक ऐसे शक्स हैं जिनके बारे में न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में भी पढ़ाया जाता है। बापू के सम्मान में लोग इनके नाम के आगे महात्मा भी लगाते है । बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। इसी दिन पूरे भारत में उनकी जयंती भी मनाई जाती है लोग इस दिन उनके योगदान, सिद्धांतो और उनके नेतृत्व और अहिंसा के प्रति समर्पण को याद करते है और उनसे प्रेरणा भी लेते है।

बता दे की गांधी जी का जीवन बहुत सादगी भरा रहा है। उन्होंने हमेशा से ही खादी के कपड़े पहने है और स्वदेशी वस्तुओं को ही अपनाया है। वह अपने कपड़े खुद ही बनाया करते थे। इनके ही सिद्धांतो को देखते हुए आज भी हमारे बड़े बड़े नेता गांधी जी की खादी और टोपी को अपनाते हुए नजर आते है।

 

इन्होंने अपना जीवन सत्य,अहिंसा,आत्मनिर्भता और सामाजिक न्याय जैसे सिद्धांतो पर जीया है। उनका मानना यह भी था कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। वो यह मानते थे कि सच में ही सबसे बड़ी शक्ति होती है। गांधी जी सभी धर्मो का बाराबार सम्मान करते थे। गांधी जी के कुछ ऐसे ही खास पहल पर जैसे स्वच्छता अभियान, छुआछूत खतम करना, महिला सशक्तिकरण की नीव रखी थी। गांधी जी ने अकेले ही बिना किसी मदद के अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर आज़ादी दिलाई थी। उनका यह एहसान मानने के लिए उनकी तस्वीर को नोटों पर भी छापा जाता है।