शर्मनाक : देश को माँ का दर्जा देने वाले भारत में ‘महिलाओं पर अपनी अस्मिता बचाने का संकट’ – जन उजाला विशेष

भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है हमारी संस्कृति और अध्यात्म की चर्चाएं समूचे विश्व में गूंजती है। भारतीय संस्कृति में पुरषों की तुलना में महिलाओं को ज़्यादा महत्व दिया जाता रहा है। यही कारण है की हम अपने देश को माता का दर्जा देते है वही बात की जाये हमारे इष्ट देवी देवताओं की तो हम भगवान श्रीकृष्ण को राधा-कृष्णा कह के पुकारते है तो वही भगवान श्रीराम को सीता-राम कह के संबोधित करते है।

परन्तु महिलाओं को देवी समान दर्जा देने के बावजूद भी भारत में  दिन प्रतिदिन महिलाओं को सबसे अधिक शर्मसार करने वाली घटनाओ में बहुत तेज़ी देखी जा रही है। जिसमें बलात्कार एक गंभीर और संवेदनशील सामाजिक मुद्दा है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की संरचना और मानसिकता पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यह एक प्रकार का यौन उत्पीड़न है, जिसमें पीड़ित की सहमति के बिना उसके शरीर पर यौन क्रियाएं की जाती हैं। इसी यौन उत्त्पीड़न पर जन उजाला संवाददाता अंजना कुमारी की विशेष रिपोर्ट :-

देश में बढ़ते जा रहे रेप के मामलें

बलात्कार के मामलों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। महिलाओं को न केवल शारीरिक और मानसिक चोट का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें सामाजिक कलंक और लोगों की तंज का भी सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के अपराध महिलाओं को खुल कर जीने नहीं देते। जिससे पीड़िता के सामने अनेकों चुनौतियां खड़ी हो जाती है।

जाने, देश में हो रहें बलात्कार में मामलों के आकड़े :-

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में प्रति दिन 86 बलात्कार के मामले दर्ज किये जाते है। यानि प्रति 16 मिनट में एक बलात्कार। वही हर साल लगभग 31,390 बलात्कार भारत में होते है। देशभर में बलात्कार के मामलो की अधिक संख्या वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल है।  इसके अलावा बिहार और हरियाणा से भी अधिक मामलें आते हैं।

भारतीय दंड संहिता के इन धाराओं से होती है सजा

जाने, बलात्कार संबधित कानून की धाराएं :-

भारतीय दंड सहित यानी आईपीसी के तहत अपराधियों को दंड दिया जाता है।

धारा 376 : इस धारा के अंतर्गत, सामान्य बलात्कारी को 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।

धारा 376 (A) : यदि बलात्कार के कारण पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तोह दोषी को उम्रकैद या मृत्युदंड दिया जा सकता हैं।

धारा 376 (D) : इन धाराओं के अंतर्गत बलात्कार आदि के लिए कठोर सजा का प्रावधान है।

पोकसो एक्ट 2012 : बच्चों के खिलाफ योन अपराधों के लिए कड़ा कानून है इसमें दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाती है।

सविधान का अनुच्छेद 21: हर व्यक्ति को सुरक्षित और बेखौफ़  जीवन जीने का अधिकार है जो बलात्कार पीड़ित के लिए भी लागु है।

रेप घटना के बाद सरकारी स्तर पर मिलती है कुछ राहत

बलात्कार पीड़िता पर सरकार की मेहरबानी :-

भारत में बलात्कार का शिकार हुई महिलाओं को विभिन्न सरकारी सहायता और समर्थन मिल सकता है। इनमें मुख्यतः

1.आशा और हेल्पलाइन सेवाएँ:  राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर हेल्पलाइन सेवाएँ उपलब्ध हैं, जैसे कि 1091 (राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन) और 181 (राज्य महिला हेल्पलाइन), जो सहायता प्रदान करती हैं।

2- मेडिकल सहायता: पीड़िता को मेडिकल चेक-अप और इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में सहायता प्रदान की जाती है।

3- कानूनी सहायता: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कानूनी सलाह और वकील की सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

4- समर्थन और काउंसलिंग:  मानसिक और भावनात्मक समर्थन के लिए काउंसलिंग सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती है।

5- सरकारी योजनाएँ : विभिन्न राज्यों में पीड़िताओं के लिए विशेष योजनाएँ और सहायता उपलब्ध हो सकते हैं।
इनके अलावा, कई समाजसेवी संगठनों द्वारा भी समर्थन और सहायता प्रदान की जाती है।

महिलाओं के साथ रेप करने वाले अवल्ल देश

जाने, बलात्कार के मामले में शीर्ष के देश:- 
1.दक्षिण अफ्रीका
2. स्वीडन
3.सयुंक्त राज्य अमेरिका
4.भारत
5.जर्मनी।                                                                            इस दशों में रेप के सबसे अधिक मामलें सामने आते है।

एसे में यह जिम्मेंदारी सिर्फ एक पुलिस कर्मचारी या सरकार की नहीं है बल्कि हर एक उस जागरूक नागरिक की जो समाज के प्रति सतर्क है और अपने कर्तव्यों का सही से पालन करता है। वही आप भी एक जागरूक नागरिक होने फर्ज निभाईये और इंसानियत को शर्मसार होने से बचाए ।