भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और रामराज्य की मनोकामना लिये करोड़ो लोगों की भावना का हो सम्मान – जन उजाला विशेष

भारतीय संविधान में भगवान राम सहित अन्य देवताओं के होने का महत्व और आजकल राम राज्य की कल्पना पर अधारित ‘जन उजाला न्यूज़ के चीफ सब एडिटीर मुकुल श्रीवास्तव’ की विशेष रिपोर्ट :-

राम सत्य हैं, राम सनातन, सृष्टि के कण कण में राम।
राम हैं मन में, राम जीवन में, सबों की धड़कन में राम।।
राम ही राष्ट्र हैं, राम हैं राजा, लोकतंत्र के प्राण में राम।
भारत रत्न बाबा साहब कृत, महान संविधान में राम।।

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरराष्ट्रीय पटल न केवल एक अलग पहचान बनी है बल्कि आज भारत विश्व में सबसे तेजी से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। बीते कुछ दिनों में देश में सनातन धर्म ऐसी लहर दौड़ पड़ी है जनता की श्री राम के प्रति आस्था तो बढ़ी ही है, साथ ही साथ जनता राम राज्य की कल्पना भी करने लगी है।

जगतगुरु रामभद्राचार्य जी राम को परिभाषित हुए कहते है कि रा का अर्थ राष्ट्र से है और म का अर्थ है मंगलमय, इस प्रकार राम का अर्थ हुआ मंगलमय राष्ट्र, जिसकी कामना भारत का बहुसंख्यक समाज कर रहा है। वही देश को हिंदू राष्ट्र बनाने तथा रामराज्य की मनोकामना लिए अब संत समाज भी सामने आ गया है जिसमे आजकल बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र शास्त्री समेत अनेक संत सुर्खियों में हैं। आपको बता दें कि सनातन धर्म का विश्वास “सर्वे संतु निरामया:” में है, अर्थात सभी का कल्याण हो, इसमें जाति, मज़हब या राष्ट्र किसी का भी वर्णन नहीं है। आप सभी को जान कर खुशी होगी की कोरोना काल में जो वैक्सीन भारत ने बनाई थी उसपर लिखा था “सर्वे संतु निरामया:”।

गौरतलब है कि जिस प्रकार पिछले दशक में भारत में पश्चिमी सभ्यता ने अपनी पकड़ जमाई वही अब इस दशक में जनता अपनी सभ्यता और संस्कृति का मूल्य समझने लगी है, जिस संस्कृति को 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए धर्मसम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने विश्व को बताया था। हमारी संस्कृति श्री राम से जुड़ी है इसलिए यह राम के अस्तित्व के बिना असंभव है। इसका श्रेय भी हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है जिनके शासनकाल में राम मंदिर का फैसला आया, आशा है इस वर्ष के अंत तक बन कर तैयार हो जाएगा।

भारत के बहुसंख्यक वर्ग और सभी संत समाज को विश्व कल्याण की कामना करते हुए एक ही मांग है…

“मानस” बने राष्ट्रीय ग्रंथ, अधर्म का निर्वासन हो,
रहे निरोगी राष्ट्र हमारा, गीता ज्ञान का साधन हो,
सभ्यता और संस्कृति यहां की, परंपरा हमारी पुरातन हो।
एक राष्ट्र हो, राम राज्य हो, धर्म केवल सनातन हो।।