रिस्पना कब होगी ऋषिपर्णा, तो बिन्दाल का क्या होगा – लिंक पर क्लिक करे

अधिकारीयों के साथ बैठक लेते मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत

देहरादून की दो नदियां रिस्पना एवं बिन्दाल का होगा रीवर फ्रंट डेवलपमेंट जिसके लिए साबरमती रीवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एस.आर.एफ.डी.सी.एल.) देगा तकनीकि सहयोग जिससे साबरमती की भांति इन दोनों नदियों का होगा पुनर्जीवीकरण।

बुधवार को मुख्यमंत्री आवास मे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में साबरमती नदी की तर्ज पर रिस्पना एवं बिन्दाल नदियों के रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिये साबरमती रीवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एस.आर.एफ.डी.सी.एल.) तकनीकि सहयोग के लिये एम.ओ.यू. पर एस.आर.एफ.डी.सी.एल. के अधिशासी निदेशक आर.के.मेहता तथा एम.डी.डी.ए. के उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर एस.आर.एफ.डी.सी.एल. के चेयरमैन केशव वर्मा भी उपस्थित थे।

इसके तहत साबरमती की तर्ज पर नदियों के दोनों किनारों को विकसित किया जायेगा। इस क्षेत्र में आवासीय व अनावासीय क्षेत्रों को विकसित करने के साथ ही इन क्षेत्रों के सौन्दर्यीकरण किये जाने के साथ ही इन क्षेत्रों से अतिक्रमण की रोकथाम तथा नदियों के प्रवाह को विकसित किया जायेगा। इस बहुआयामी परियोजना के दूरगामी परिणाम शीघ्र सामने आयेंगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लम्बे समय से इस योजना पर कार्य किये जाने के प्रयास किये जा रहे थे, एस.आर.एफ.डी.सी.एल. के तकनीकि सहयोग से 02 साल के अन्दर इन नदियों का पुनर्जीवीकरण हो सकेगा। इनमें पानी का निरन्तर प्रवाह बनेगा । इनके सौन्दर्यीकरण से देहरादून का भी सौन्दर्य बढ़ेगा तथा पर्यावरण भी सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि उनका इन नदियों के प्रति गहरा लगाव है। वर्ष 2009 में उन्होंने स्वयं 02 माह तक इसमें सफाई अभियान संचालित किया था, तब भी अनेक लोग इससे जुडे थे। तब से हमारी इस योजना को मूर्तरूप देने की रही, जो अब साकार हो रही है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सौंग बांध का कार्य भी शुरू हो जायेगा। इसके लिये केन्द्र से भी मदद मांगी गई है तथा हमने अपने बजट में भी इसका प्राविधान किया है। 148 मीटर ऊंचे इस बांध से देहरादून को ग्रेविटी का पानी निरन्तर उपलब्ध होगा। एक वर्ष में इसका कार्य पूर्ण होगा।

एस.आर.एफ.डी.सी.एल. के चेयरमैन केशव वर्मा ने अपने बातो मे बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में जो पहल की है, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि देहरादून की इन नदियों के रीवर फ्रंट डेवलपमेंट से इनका सौन्दर्य बढ़ेगा। इनमें पानी की निरन्तरता होगी तथा पर्यावरण भी सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि एक टीम के रूप में हम उत्तराखण्ड सरकार का पूरा सहयेग करेंगे। उन्होंने कहा कि इन नदियों के बेसिन से लेकर नदी क्षेत्र की पूरी योजना बनायी जायेगा। रीवर फ्रंट डेवलपमेंट की योजना को बहुआयामी बताते हुए उन्होंने कहा कि आज साबरमती में 1100 करोड़ रूपये व्यय करने के बाद उससे 3500 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है। इन नदियों की 94 हैक्टेयर भूमि को विकसित कर इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की योजना बनाने की उनकी कौशिश रहेगी। उनके पास इसके लिये दक्ष टीम है तथा देश के कई राज्यों में उनके द्वारा कार्य किया जा रहा है।

उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए. आशीष श्रीवास्तव ने कहां कि इस योजना को 2017 में आरम्भ करने की योजना बनायी गई। इसके लिये कार्यदायी संस्था के रूप में एन.बी.सी.सी. का चयन करने के बाद तकनीकि सहयोग के लिये एस.आर.एफ.डी.सी.एल. से एम.ओ.यू. सम्पन्न किया गया है। उन्होंने इसके लिये मुख्यमंत्री का भी आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर एस.आर.एफ.डी.सी.एल. के उप महाप्रबंधक पलकेश पारिक, सचिव एम.डी.डी.ए. पी.सी.दुमका, अधीक्षण अभियंता संजीव जैन, अधिशासी अभियंता संजय राज आदि उपस्थित थे।

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