हिमालयी प्रदेश उत्तराखण्ड जहा देश भर मे सबसे ज्यादा मात्रा मे होम्योपैथिक औषधियों का पैदावार होता है एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 80प्रतिशत औषधियां हमारे प्रदेश मे पर्याप्त मात्रा मे पायी जाती है परन्तु कुछ वर्षो पहले तक मरीजो का ज्यादा रूझान पाने मे होम्योपैथिक सफल नही रहता था जो सरकार के चिंता की बात थी परन्तु प्रदेश सरकार का होम्योपैथिक चिकित्सा निदेशालय द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा नगराीय एवं ग्रामीण दोनो ही क्षेत्रो मे होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को और विस्तृत करने हेतू प्रतिबद्धता से कार्य किया जा रहा है।
बहरहाल अब विभाग के प्रयासो के बाद होम्योपैथी के सुलभता, क्षमता एवं औषधियों सस्ते मुल्यो पर का सरलता से उपलब्धता के कारण ही प्रदेश के कोने कोने मे लोकप्रियता एवं विश्वसनाीयता बढता जा रहा है।
अब आलम यह है कि प्रदेश मे वर्ष 2014-15 मे मरीजो की संख्या 11,60,920 थी जो वर्ष 2017-18 मे बढकर 13,35,229 हो गयी है। जिन रोगीयों ने अपना इलाज होम्योपैथिक पद्धति से कराया है।
प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रो के निवासी जो पुराने असाध्य रोगों एवं ऐसे नाॅन सर्जिकल से पीडित है जो नाॅन सर्जिकल उपचार से भी ठीक हो सकते है उनके लिए प्रदेश के मुख्य शहरो मे होम्योपैथिक चिकित्सालय खोलने हेतु विचार किया जा रहा है प्रदेश के गांवो मे प्रयाप्त चिकित्सा सुविधा ना होने के कारण प्रदेश मे पलायन बढता जा रहा है जिसे रोकने हेतु औषधियों को सस्ता एवं सरलता से प्रदान कराने पर विभाग सक्रियता से कार्य कर रहा है।- डा0 राजेन्द्र सिंह (निदेशक)
होम्योपैथिक चिकित्सा सेवायें उत्तराखण्ड निदेशालय द्वारा शासन मे सचिव आयुष को एक लिखित पत्र लिख कर निम्नवत मांग किया गया – जाने क्या है वे मांगे :-
*जनपद मे कार्यलयाध्यक्ष जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी कार्यलयों मे पंजीकरण करने की मांग की गयी है।
सभी क्लीनिकों एवं चिकित्सालयों का निरिक्षण भी निदेशक होम्योपैथिक अथवा जिले के जिला होम्योपैथिक अधिकारी द्वारा ही किया जाये।
*नैदानिक स्थापन्न अधिनियम 2010, उत्तराखण्ड राज्य परिषद मे आई0आई0एच0पी0 एवं यू0एच0एम0ए0 मे कम से कम दो दो प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाये।
*अस्थाई पंजीकरण मे कम से कम एक वर्ष के पश्चात स्थाई पंजीकरण के लिए आवेदन करया जाये।
अधिनियम की शर्तो को पूर्ण ना करने पर आरोपित की जाने वाली दण्ड राशि को संशोधित करते हुए कम से कम 1000रूपये एवं अधिक से अधिक 10000रूपये किया जाये।
*अपातकालीन सेवाओ के लिये होम्योपैथिक चिकित्सको एवं चिकित्सालयों को शिथिलता प्रदान किया जाये।
*नैदानिक स्थापन्न अधिनियम 2010 का उलंधन अथवा दुर्पयोग करने पर राज्य परिषद एवं अधिकृत अधिकारी के विरूद्ध होम्योपैथिक चिकित्सको एवं चिकित्सालयों के संचालकों को मा0 न्यायालय भी जाने का अधिकार प्रदान किया जाये।
एक नजर उत्ताखण्ड के होम्योपैथिक चिकित्सा पर:-
प्रदेश मे कुल 110 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय मौजुद है।
भारत सरकार द्वारा संचालित एन0एच0एम0 योजना के कुल 28 केन्द्र एवं केन्द्र पोषित योजना के 9 चिकित्सालय मौजुद है।
प्रत्येक जिले मे एक-एक डी0एच0ओ0 है।
तो कुछ चुनौतियां भी है:-
पुरे प्रदेश मे एक भी सरकारी होम्योपैथिक काॅलेज नही है एक मात्र प्राईवेट काॅलेज रूद्रपुर मे है
प्रदेश के युवाओं का होम्योपैथिक शिक्षा मे रूझान तो है परन्तु सरकारी होम्योपैथिक काॅलेज के अभाव मे अन्य राज्यो मे शिक्षा ग्रहण करने जाना पड जाता है जो कि अतिरिक्त खर्च का कारण भी बनता है ऐसे मे सरकार के सामने होम्योपैथिक काॅलेज खोलने के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए।