देहरादून/स्वप्निल : विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक दल भाजपा से टिकट पाने के लिए हर सीट पर मारामारी थी, वर्षों से टिकट का इंतजार कर रहे वो तमाम कार्यकर्ता जिन्हें टिकट नसीब ना हो सका, ऐसे लगभग सभी पार्टी कार्यकर्ताओं ने बागी हो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर चुके हैं और अपने क्षेत्र में पकड़ होने के कारण पार्टी को कड़ी टक्कर भी दें रहें हैं!
बता दें कि पार्टी ने अपने बागियों का निलंबन करने में बेहद जल्दबाजी दिखाई जो कहीं ना कहीं पार्टी के सामने एक बड़ी समस्या पैदा करती नजर आ रही है! हमारे ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक बागी प्रत्याशी जरूर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर कर अपने लिए वोट मांग रहें थे परन्तु मेयर के लिए वो कांग्रेस से बेहतर भाजपा के उम्मीदवार सौरभ थपलियाल लिए वोट की अपील कर रहें थे, लेकिन भाजपा आला कमान ने जैसे ही अपने बागियों पर बड़ी सख्ती दिखाते हुए कार्यवाही की और बागियों की भाजपा की सदस्यता खत्म कर दी, उसके बाद सभी बागियों में पार्टी के प्रति खासा रोष देखने को मिल रहा है!
वही नियम की सभी 100 सीटों पर भाजपा के 3 से 4 उम्मीदवार तैयारी में थे पर कांग्रेस को कई सीटों पर बेहतर उम्मीदवार भी नहीं मिल पा रहें थे, ऐसे में लाजमी है कि ज्यादातर बागी भाजपा से ही है तो नुकसान भाजपा को ही ज्यादा उठाना पड़ सकता है! साथ ही भाजपा का यह कदम जले पर और भी नमक छिड़क देगा!
साथ ही स्टार प्रचाकरों से सजी भाजपा के कुछ गिने चुने स्टार ही मैदान में नजर आ रहें है वही सूबे के सबसे बड़े नियम देहरादून के निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल ‘गामा’ तो पूरी तरह से नदारत नजर आए या इसे दूसरे एंगल से देखे तो पार्टी और गामा एक दूसरे से दूरियां बनाए हुए है! जो कई कार्यकर्ताओं के जोश को गिरा रहा है! निवर्तमान मेयर गामा का विवादित कार्यकाल इसके पिछे की बड़ी वजह मानी जा रही हैl
वही अगर बात करे कॉंग्रेस की तो ज्यादातर वार्ड में पार्टी को बेहतर और जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा था, पार्टी ने कुछ ऐसे युवाओ को टिकट दे दिया है जिन्हें ना कोई पोलिटिकल अनुभव ना ही जनता में उनका विश्वास, यही कारण है कि कुछ प्रत्याशियों की रैलियों और सभाओं में बाहर से भीड़ जुटानी पड़ रही हैl
*मेयर के लिए कुछ वार्डो में कड़ी टक्कर*
भाजपा के मेयर प्रत्याशी सौरभ थपलियाल और कांग्रेस के वीरेंद्र पोखरियाल दोनों युवा नेता, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं l राजनीतिक कद और जनता के बीच पहचान में तो कॉंग्रेस के वीरेंद्र पोखरियाल एक कदम जरूर आगे है परंतु सौरभ थपलियाल का शांत और सौम्य स्वभाव साथ ही जनता का भारतीय जनता पार्टी में विश्वास उन्हें जीत की ओर ले जा सकती है l