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देहरादून/स्वप्निल : मंगलवार को उत्तराखंड सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में अटल भूजल योजना से सम्बन्धित आज की बैठक की। उन्होंने अटल भूजल योजना के तहत राज्य के तीन जल संकटग्रस्त जनपदों चम्पावत, हरिद्वार व उधमसिंह नगर में जल बजटिंग व कार्यक्रम के स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन की देखरेख और विभिन्न राज्य एजेंसियों के बीच भूजल प्रबंधन के लिए समन्वय हेतु स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी  गठित करने के निर्देश दिए हैं।
इस अवसर पर उन्होंने कमेटी में लघु सिचाई विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए पेयजल व स्वच्छता, शहरी विकास, शहरी विकास, पंचायती राज, सिचाई, ग्राम्य विकास विभाग व स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण को शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कमेटी को कार्यक्रम की नियमित रूप से मासिक समीक्षा के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने नोडल विभाग को स्थानीय निकायों के स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स नामित करने तथा उनके प्रशिक्षण हेतु आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। यह मास्टर ट्रेनर वाटर प्लान व बजटिंग बनाने में सहायता करेंगे।
वही उन्होने जल संकटग्रस्त जनपदों चम्पावत, हरिद्वार व उधमसिंह नगर में  अटल भूजल योजना के तहत कैच द रैन, अमृतसरोवर, स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण की गतिविधियों को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं। अटल भूजल योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल देते हुए सीएस ने स्पष्ट किया है कि इस योजना का उद्देश्य मुख्य रूप से वर्तमान में संचालित विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं के बीच कन्वर्जेंस के माध्यम से सामुदायिक नेतृत्व व भागीदारी से स्थायी भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि  जागरूकता कार्यक्रमों और स्थायी भूजल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाने के लिए कार्य किए जाए।  मुख्य सचिव ने जिलों में समुदायों और पंचायतों की विभिन्न गतिविधियों जैसे वाटर यूजर एसोसिएशन का गठन/मजबूती, भूजल आंकड़ों की निगरानी और प्रसार, जल बजट और ग्राम पंचायतवार जल सुरक्षा योजनाओं (डब्ल्यूएसपी) की तैयारी और उनके कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी हेतु निर्देश दिए हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि अटल भूजल योजना का एक मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाना है। इसके लिए जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार करते समय जल उपलब्धता और उपयोग जैसे जल संबंधी डेटा का उपयोग किया जाएगा। ये योजनाएँ सामुदायिक भागीदारी से तैयार की जाएंगी और योजना में इस्तेमाल किए गए डेटा को पूरे समुदाय तक पहुँचाया जाएगा। इसके अलावा, जल संबंधी डेटा को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (डीडब्ल्यूएलआर), वाटर लेवल साउंडर, रेन गेज, वाटर फ्लो मीटर जैसे विभिन्न उपकरण लगाए जाएंगे। इसके अलावा, भारत सरकार राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत सतही और भूजल दोनों के लिए विभिन्न रियल टाइम डेटा अधिग्रहण प्रणाली (आरटीडीएएस) भी स्थापित कर रही है।
बता दें कि भारत सरकार की अटल भूजल योजना के तहत पंचायत स्तर के वाटर यूजर एसोसिएशन में जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान अभ्यास में महिलाओं की भागीदारी कम से कम 33  प्रतिशत रखी गई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में मौजूदा ग्राम जल और स्वच्छता समिति का विस्तार किया गया है और उनका सहयोग इस कार्यक्रम में लिया जा रहा है।  अटल भूजल योजना (अटल जल) गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे 7 राज्यों के 80 जिलों की 8,562 ग्राम पंचायतों में कार्यान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से विभिन्न चल रही केंद्रीय और राज्य योजनाओं के बीच अभिसरण के माध्यम से समुदाय के नेतृत्व में स्थायी भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। उत्तराखण्ड राज्य के तीन जल संकटग्रस्त जिलों हरिद्वार, उधमसिंह नगर व चंपावत को भी योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
इस दौरान सचिव शैलेश बगौली सहित पंचायती राज, पेयजल, शहरी विकास, सिचाई, लघु सिचाई, ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी मौजूद रहें।

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