देहरादून/स्वप्निल : रविवार को राजधानी देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय में पहुंच कर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कैडेट्स से आग्रह किया कि वे अपने संस्थान के आदर्श- बल विवेक को चरितार्थ करें और ताकत और ज्ञान विकसित करें ताकि वे जीवन की बड़ी जंग को लड़ सकें। उन्होंने कहा, “ताकत और विवेक एक मजबूत संयोजन बनाते हैं जो चुनौती का सामना करने पर अभेद्यता उत्पन्न करता है।”
उन्होंने राष्ट्र के हित को सभी परिस्थितियों में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “देश की सेवा गर्व और निर्भीकता के साथ करें! भारत माता आपका इंतजार कर रही है। राष्ट्र का भविष्य आपके कंधों पर है। हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें। आपका आचरण अनुशासन, शिष्टाचार और सहानुभूति का उदाहरण होना चाहिए।” उन्होंने पूर्व छात्रों और समुदाय से आग्रह किया कि वे एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करें और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करें तथा उन लोगों के खिलाफ़ कदम उठाएं जो ग्राउंड रियलिटी से अज्ञात हैं और भारत की अद्वितीय आर्थिक वृद्धि, विकास यात्रा और वैश्विक मंच पर उन्नति को नहीं मानते।
वही उन्होंने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 10 दिसंबर 1962 को कैडेट्स को दिए गए भाषण की याद दिलाते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दोहराया, “पृथ्वी बहादुरों की होती है, आत्मा में ताकत रखने वालों की होती है, आलसी और अक्षम लोगों की नहीं। इस महान प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता की दुनिया में, हमें आत्म-नियंत्रण और बलिदान से जीवन जीना होगा । इन महान आदर्शों को जीवन में धारण करें।
साथ ही चंद्रयान मिशन की सफलता की कहानी का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, “ऐतिहासिक चंद्रयान मिशन को याद करें! चंद्रयान 2 आंशिक रूप से सफल हुआ लेकिन पूरी तरह से नहीं। कुछ के लिए यह विफलता थी और समझदार लोगों के लिए यह सफलता की ओर एक कदम था। और 23 अगस्त पिछले वर्ष को चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया, और भारत ने इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाला पहला राष्ट्र बन गया।”
इस दौरान उत्तराखंड के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज के कमांडेंट, कर्नल राहुल अग्रवाल, कैडेट्स, शिक्षक सहित अन्य लोग मौज़ूद रहें।