उच्च न्यायालय का बड़ा आदेश ‘हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स मामलें में अरोड़ा दंपत्ति और विनोद विधूड़ी को बनाया दोषी’

हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स एसोसिएशन के एक मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है। जिसमें कुछ को दोषी भी करार दिया है। बता दें कि यह मामला संस्था में 4 साल पहले राष्ट्रीय सचिव विनोद विधूड़ी को वित्तीय अनियमितता, वरिष्ठ सदस्यों से बदतमीजी और कार्यालय में लगातार अनुपस्थिति के कारण संस्था अध्यक्ष द्वारा 14 फरवरी 2019 को निष्कासित कर दिया गया। इस फैसले पर 2 मार्च 2019 को कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से मोहर भी लगा दी।

वही जिसके बाद विनोद विधूड़ी ने 6 मार्च 2019 को संस्था के पैनल अधिवक्ता दीपक त्यागी के साथ मिलकर खुद को राष्ट्रीय सचिव बताते हुए जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। निचली अदालत ने मामले की सुनवाई में विनोद के निष्कासन को सही पाया। इसके पश्चात सत्र न्यायालय ने 22 मई 2022 को दिए फैसले में भी विनोद के निष्कासन को मान्य किया। साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि विनोद विधूड़ी का खुद को राष्ट्रीय सचिव बताते हुए जो मुकदमा दायर हुआ तो वो मुकदमा सुनवाई के लिए लेना ही नहीं चाहिए था।

ऐसे में दूसरे पक्ष की दलीलों के अनुसार मामले के चलन के दौरान बिना कोई कैविएट डालें तथा सदस्यों की सूचना के 5 मई 2019 में ही अरोड़ा पति-पत्नी ने कार्यालय कर्मी राकेश मिश्रा को साथ लेकर चुनाव करावाना दिखाया। इस तरह दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद और तथ्यों को समक्ष देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि त्रैवार्षिक अवधि के समयकाल की कार्यपरिषद् का अवधि समाप्त हो गयी तब भी अरोड़ा दंपत्ति संस्था का अवैध प्रंबधन जारी रखे है।

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय में दूसरे पक्ष के विरोधाभासी एफिडेविट पाए। साथ ही दोनो पक्षों की चुनाव कराने और उनके परिणाम के विरोधाभास को देखते हुए उच्च न्यायालय ने 5 मई 2019 के इस चुनाव को अवैध घोषित करार दिया।

हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आदेश पालन में किसी तरह की त्रुटि नहीं होगी और वैसे भी संस्था के सभी वैध पदाधिकरी इसका पालन करते है। अब यह मंत्रालय के उपर है कि अदालत के आलोक में क्या कार्यवाही करते है – गिरीश जुयाल (केंद्रीय सचिव)