केंद्र सरकार ने सवर्णो के हित मे आरक्षण पर ऐतिहासिक कदम उठाया। सोमवार को सरकार ने अपने कैबिनेट मीटिंग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पर मुहर लगाया गया। केन्द्र सरकार ने आम चुनाव से पहले बड़ा दांव खेलते हुए सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया।
हाल मे ही भाजपा तीन प्रमुख राज्यो मे अपनी सरकार नही बचा सकी कारण है कि सवर्ण जातियों में नाराजगी। हाल मे ही केन्द्र सरकार द्वारा एससी.एसटी ऐक्ट पर फैसले के बाद सवर्ण जातियों जो प्रमुखता भाजपा को स्पोर्ट करती रही है उन्होने इस बिल का जम कर विरोध भी किया सायद यही कारण है कि केन्द्र सरकार द्वारा सवर्णों को फिर से अपने तरफ में लाने की कोशिश किया जा रहा है।
ऐसे में आरक्षण का कोटा 49.5 प्रतिशत से 59.5 प्रतिशत हो जाएगा। केंद्र सरकार आरक्षण के इस नए प्रस्ताव को लागू करने के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाएगी। गौरतलब है कि भारतीय संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार के पास संविधान संशोधन ही एकमात्र विकल्प हो सकता है।
जाने किस प्रकार के लोग होंगे पात्र –
समान्य वर्ग के वे लोग जिनकी वार्षिक आय आठ लाख से कम है।
समान्य वर्ग के वे लोग जिनके पास खेती योग्य 5 एकड से कम खेत है।
समान्य वर्ग के वे लोग जिनके पास 1000 स्क्वायर फिट से कम का घर है।
समान्य वर्ग के वे लोग जिनके पास निगम क्षेत्र के 100 गज अधिसुचित जमीन है।
समान्य वर्ग के वे लोग जिनके पास निगम क्षेत्र मे 200 गज गैर-अधिसुचित जमीन है।
मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी कोटे का प्रस्ताव तो पास तो कर दिया है परन्तु इसे लागू करवाना खासा मुश्किल है। सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए उसे संसद के पटल पर अन्य राजनैतिक दलों के समर्थन भी चाहिए। कैबिनेट से यह प्रस्ताव के बाद ही कांग्रेसए एनसीपी और आम आदमी पार्टी ने इसका समर्थन तो कर दिया है पर सदन मे क्या कुछ होगा अभी फिक्चर पुरी तरह साफ नजर नही आ रही है।