गुरुवार को राजधानी देहरादून में समाजिक संस्था संगमन के संस्थापक सुरेन्द्र अग्रवाल की अगुवाई में संस्था का एक प्रतिनिध मंडल उतराखन्ड के जाने-माने फौजदारी अधिवक्ता, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के पूर्व सदस्य आर एस राघव से भेंट कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया।
बता दें कि समाजिक संस्था संगमन के गठन का उदेश्य है उत्तराखंड को देश के शीर्ष राज्यों में शामिल कराने की मंशा लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन को बल प्रदान करना। ऐसे में संस्था के संस्थापक उत्तराखंड के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार व प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल की अगुवाई में संस्थापक सदस्यों द्वारा राजधानी देहरादून में निवास कर रहें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मुलाकात कर उनसे उत्तराखंड के हित में कई सकारत्मक सुझाव लिये जा रहे है।
इसी क्रम में उतराखन्ड के जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस राघव से संगमन की टीम ने मुलाकत की। इस पर उन्होनें कहा कि ऋषियों, मुनियों की तपोभूमि, बद्री-केदार की यह देवभूमि स्वत: ही श्रेष्ठ है, लेकिन जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था व अन्य व्यवहारिक कार्य कर निस्संदेह उतराखन्ड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाया जा सकता है।
वही अधिवक्ता आर एस राघव ने संगमन” की पहल का स्वागत करते हुए उतराखन्ड को देश को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए बेहद उपयोगी सुझाव दिए। उनका मानना है कि उत्तराखंड देवभूमि है, उतराखन्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ बनाया जाने के लिए नागरिकों को प्रशासनिक व्यवस्था देना होगा। उन्होंने अपने व्यवहारिक अनुभध के आधार पर कहा कि आमजन से जुडे नब्बे फीसदी से मामले थाना से लेकर पुलिस कप्तान तक एवं तहसीलदार से लेकर जिलाधिकारी तक के स्तर पर सुलझाए जा सकते हैं।
उन्होने कहा कि यदि सत्तारूढ़ दल प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से आमजन के प्रति जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर दे तो न केवल उतराखन्ड अग्रणी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर होगा वरन चुनाव दर चुनाव वह पार्टी अजेय रहेगी।
इस अवसर पर उन्होने कहा कि आपराधिक घटनाओं से लेकर सिविल मामलों की वजह भूमि विवाद होती है। यदि सेल डीड के साथ स्वत 30 दिन का प्रोवीजनल दाखिल खारिज का प्रावधान लागू कर दिया जाए तो सरकार को रेवेन्यू भी मिल सकता है और विवाद भी रुकेगे। जिन मामलों मे आपत्ति प्राप्त हो उन्हें छोड़कर शेष मामलो का फाइनल दाखिल खारिज कर दिया जाए।
साथ ही उन्होनें चारधाम यात्रा विशेषकर केदारनाथ धाम की यात्रा करके वापस लौटने वाले अनेक यात्रियों के अनुभव के आधार पर सुझाव दिया कि चारधाम यात्रा मे जितने संसाधन, जितनी जनसुविधाएं उपलब्ध हों,उसी के अनुसार यात्रियों की संख्या निर्धारित की जानी चाहिए क्योंकि यात्रा से वापस लौटकर अपने गृहक्षेत्र मे लौटने वाले यात्री उतराखन्ड के ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभाते हैं, अतः उनकी यात्रा सुविधाजनक रहे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उन्होनें राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के पूर्व सदस्य आर एस राघव ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि सदस्य के तौर पर पदभार ग्रहण करने के उपरांत जब उन्होंने प्राधिकरण की नियमावली मांगी। तो ज्ञात हुआ कि प्राधिकरण बगैर किसी नियमावली के संचालित हो रहा है। उन्होंने बताया कि विशेष प्रयास कर नियमावली तैयार कर शासन को भेजा गया। नियमावली की स्वीकृति के लिए उन्होंने उच्च स्तर पर प्रयास भी किए लेकिन नियमावली को शासन से अप्रूवल नहीं मिल सका।
ऐसे में उन्होनें यह भी कहा कि राज्य को अस्तित्व मे आए 23 वर्ष हो चुके हैं, अतः उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा मे सबसे पहले सभी सरकारी, अर्धसरकारी महकमो की नियमावलियों को एक अभियान चलाकर तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
इस दौरान “संगमन” सामाजिक संस्था के प्रतिनिधिमंडल (संयोजक सुरेन्द्र अग्रवाल, बिजेंद्र यादव, रोहित गुप्ता, स्वप्निल सिन्हा) ने वरिष्ठ अधिवक्ता राघव को “संगमन” का प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
संस्थापक सदस्य बिजेंद्र यादव के कार्यालय में युवा पत्रकार सचिन यादव को “संगमन” का प्रतीक चिन्ह किया भेट
“संगमन” संस्था के संस्थापक सदस्यों ने बिजेंद्र यादव के धर्मपुर के माता मंदिर रोड पर स्थित आर के प्रिन्टर्स कार्यालय मे “संगमन” का प्रतीक चिन्ह कार्यालय प्रभारी सचिन यादव को सौप कर स्थापित किया गया।
संस्थापक सदस्य रोहित गुप्ता के कार्यालय में आशु गुप्ता को संगमन का प्रतीक चिन्ह किया भेट
“संगमन” ने संस्थापक सदस्य रोहित गुप्ता के त्यागी रोड स्थित सुगंधा जैनरेटर्स पर प्रतीक चिन्ह “आशु” को सौपा गया। इस दौरान संस्थापक सुरेन्द्र अग्रवाल, रोहित गुप्ता, विजेंद्र यादव और स्वप्निल सिन्हा मौजूद रहें।