आपातकाल की 48वीं वर्षगांठ पर ‘वित्त मंत्री अग्रवाल ने कालाध्याय को याद कर हुए भावुक’

रविवार को उत्तराखंड के वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने आपातकाल की 48वीं वर्षगांठ पर अपना बयान जारी कर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के शासन के दौरान 1975 में लगा आपातकाल काले अध्याय से कम नहीं था।इस दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया। आपातकाल के दौरान पूरे देश में लोकतांत्रित तरीके से आंदोलन हुए।

साथ ही डा. अग्रवाल ने कहा कि इस वक्त सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भी किया गया। कहा कि जेल में आपातकाल के दौरान पकड़े गए लोगों को सामान्य कैदी की तरह ही रखा जाता था। उन्हें कीड़े लगे चावल और पानी वाली दाल मिलती थी।

डा. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय अपनी सत्ता बचाने और राजनीति स्वार्थ पूरा करने के लिए लोकतंत्र की हत्या देश में आपातकाल लगाकर की थी। कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी।

बता दें कि इस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी। जब 25 जून 1975 की आधी रात इमरजेंसी लागू की गई थी जनता के सारे अधिकार छिन गए थे।

आपको यह भी बता दें कि डा. अग्रवाल ने बताया कि आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और देशभर में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी। आंदोलनकारियों को जेल में डाला जाने लगा। 21 मार्च 1977 तक देश आपातकाल में पिसता रहा।

ऐसे में डॉ अग्रवाल ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा हेतु देश की जनता एवं युवाओं ने अद्भुत जोश व उमंग से कहा था कि सिंहासन खाली करो जनता आ रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष, त्याग एवं बलिदान एवं सतत् रूप से आपातकाल के खिलाफ लम्बे संघर्ष के परिणाम स्वरूप भारत देश विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र बन चुका है।