शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : नहीं-नहीं यह किसान नहीं हो सकते हैं। यह तो उपद्रवी थे । जिन्होंने हमारा गणतंत्र दिवस और लोकतंत्र को पूरे दुनिया के सामने शर्मसार कर दिया । अच्छा होता आज देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस के मौके पर साहस और पराक्रम को याद करता । लेकिन ‘देश की राजधानी दिल्ली जश्न-ए-गणतंत्र दिवस पर मैदान-ए-जंग बन गई, हम दुनिया के सामने गणतंत्र दिवस के महापर्व पर मजाक बन गए । देशवासियों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आज देश का यह राष्ट्रीय पर्व रण क्षेत्र में बदल जाएगा’ । मंगलवार दोपहर 12 बजे से शुरू हुआ यह अराजकता का माहौल पांच घंटे तक चलता रहा, इस बीच कानून व्यवस्था और सुरक्षा सब ताक पर रख दी गई, किसानों की शुरू हुई ट्रैक्टर परेड रैली के बीच में घुसे उत्पातियों ने लाल किले पर जमकर उपद्रव मचाया । कृषि कानून के खिलाफ पिछले दो महीनों से आंदोलन कर रहे किसान ने आज दिल्ली की सीमाओं के आसपास ट्रैक्टर रैली निकाली । इस दौरान कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत हुई । पुलिस को चकमा देते हुए किसान की भीड़ में शरारती तत्व लाल किले तक पहुंच गए । आज राजधानी के लाल किले पर वैसे ही नजारा था जैसे कि इसी महीने की 6 जनवरी को वाशिंगटन के डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक और उपद्रवियों ने सीनेट पर कब्जा कर लिया था । बता दें कि पहले किसानों ने सरकार और पुलिस से कहा था कि हम शांति के रूप में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे लेकिन यह धीरे-धीरे अराजकता में तब्दील हो गया। उपद्रवियों ने तलवारों से पुलिस कर्मियों पर हमला किया। बताया जा रहा है कि यह हमला निहंगों के समुदायों ने किया। यहां आपको बता दें कि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी की सड़कों पर खुलेआम हिंसा और आगजनी का खेल खेला गया इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ ।
लाल किले पर कब्जा कर प्राचीर दीवार से उपद्रवियों ने फहराया झंडा :-
उसके बाद किसानों के ट्रैक्टर मार्च ने आक्रामक आंदोलन का रूप ले लिया । किसानों ने दिल्ली-एनसीआर में दर्जनों जगहों पर उपद्रव मचाया। लाल किला के अंदर भी जमकर तोड़फोड़ की और लाखों रुपये की सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया । भारी संख्या में अराजक तत्व ट्रैक्टरों के साथ लाल किला पर पहुंचकर तोड़फोड़ करने लगे । देश के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाएगा कि लाल किले प्राचीर पर जहां से प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को झंडा फहराते आए हैं वहां पर किसान की भीड़ में घुसे उपद्रवियों ने हिंसा और आगजनी करते हुए लाल किले को अपने कब्जे में लेकर किसानों का झंडा और खालसा निशान का फहरा दिया । इन उपद्रवियों ने पुलिस के लगाए गए बैरिकेड तोड़ते हुए केंद्र सरकार की छवि को भी विश्व पटल पर धूमिल कर दिया । यहां हम आपको बता दें कि किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में आईटीओ, नागलोई समेत कई इलाकों में पुलिस के साथ हिंसक झड़प में कुछ पुलिसकर्मियों समेत किसान भी जख्मी हो गए हैं । देश के इतिहास में ये पहला मौका होगा जब शरारती तत्वों ने लाल किले प्राचीर से झंडा फहराया होगा। बता दें कि इससे पहले गाजीपुर बॉर्डर से निकले किसानों को पुलिस ने नोएडा मोड़ पर रोक दिया और आंसू गैस के गोले छोड़े। किसानों ने भी पुलिस पर पथराव कर दिया और गाड़ियों में तोड़फोड़ की। पुलिस का दावा है कि किसानों ने पांडव नगर पुलिस पिकेट पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की। पुलिस ने यह भी कहा कि निहंगों ने तलवार से पुलिसकर्मियों पर हमले की कोशिश की।
गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हुई इस शर्मनाक घटना को रोका जा सकता था :-
गणतंत्र दिवस पर राजधानी के लाल किले समेत कई स्थानों पर हुई हिंसा और आगजनी को रोका जा सकता था । किसान संगठनों के नेताओं ने कहा, यह हमने नहीं किया, इसके बाद राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी है । कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है, चोट किसी को भी लगे, नुकसान हमारे देश का ही होगा। उन्होंने कहा कि देशहित के लिए कृषि-विरोधी कानून वापस लो । कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कहा कि, गणतंत्र दिवस पर पर कोई झंडा नहीं बल्कि पवित्र तिरंगा लाल किले के ऊपर लहराना चाहिए । शिवसेना के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत ने ट्वीट करते हुए कहा कि अगर सरकार चाहती तो आजकी हिंसा रोक सकती थी। राउत ने कहा कि दिल्ली में जो चल रहा है उसका समर्थन कोई नही कर सकता, कुछ भी हो लाल किले और तिरंगे का अपमान सहन नही करेंगे। दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे सब लोग शांतिपूर्ण तरीके से जा रहे हैं, जो लोग गड़बड़ फैलाने की कोशिश कर रहे हैं वो चिन्हित हैं । टिकैत ने कहा कि वो राजनीतिक दल के लोग हैं और इस आंदोलन को खराब करना चाहते हैं। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के लिए देश से माफी मांगी । उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि ट्रैक्टर रैली में असामाजाकि तत्व घुस सकते हैं । किसान नेता शिवकुमार ने कहा कि जिन्होंने ये हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की है वो संयुक्त मोर्चा का हिस्सा नहीं हैं । ऐसे ही किसानों के नेता योगेंद्र यादव भी इस घटना से अपना पल्ला झाड़ते हुए दिखाई दिए । मंगलवार शाम 6 बजे तक स्थित नियंत्रण में नहीं थी । खासतौर पर लाल किले में उपद्रवी कब्जा जमाए बैठे हैं । इस बीच गृह मंत्रालय ने आनन-फानन में एक आपात बैठक कर इन दंगाइयों से निपटने के लिए पुलिस को सख्त निर्देश दिए । यहां हम आपको बता दें कि दिल्ली में घटित हुई इस शर्मनाक घटना के बाद किसान संगठनों के तमाम नेता, बयान देते फिर रहे हैं कि यह हमारा काम नहीं है, इस आंदोलन के भीड़ में राजनीतिक पार्टी से जुड़े लोग घुस आए थे ? खैर यह तो जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि राजधानी में हुई हिंसा और आगजनी का जिम्मेदार कौन है ?