शंभू नाथ गौतम (वरिष्ठ पत्रकार) : आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुबह से ही जबरदस्त हलचल मची हुई है । इसका बड़ा कारण यह है कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर कई भाजपा नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं । वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आज अपने दो दिवसीय दौरे पर राजधानी लखनऊ पहुंच रहे हैं । इसके साथ आज भाजपा को 10 नए विधान परिषद सदस्य भी मिल जाएंगे । लेकिन आज हम चर्चा करेंगे विधान परिषद चुनाव की । बता दें कि उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी को खाली हो रही विधान परिषद (उच्च सदन) की 12 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। एमएलसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सभी 10 और समाजवादी पार्टी के दोनों प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय है। दोनों दलों के इन 12 प्रत्याशियों को आज शाम तक निर्वाचन प्रमाण पत्र सौंपे जाएंगे । ‘भाजपा के 10 प्रत्याशी जीतने के बाद भी सदन में सपा का बहुमत रहेगा’। आइए आपको बताते हैं भाजपा और सपा के जिन प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है वह यह हैं। भाजपा प्रत्याशी व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, कुंवर मानवेंद्र सिंह, लक्ष्मण आचार्य, गोविंद नारायण शुक्ल, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और ‘मोदी मैन’ अरविंद कुमार शर्मा, सलिल विश्नोई, अश्विनी त्यागी, सुरेंद्र चौधरी व धर्मवीर प्रजापति और सपा उम्मीदवार अहमद हसन व राजेंद्र चौधरी के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया है। यहां हम आपको बता दें कि 10 एमएलसी जीतने के बाद उच्च सदन में बीजेपी की ताकत जरूर बढ़ेगी, लेकिन अभी भी बहुमत के आंकड़े से पार्टी काफी पीछे है और उसे इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा ।
एमएलसी चुनाव में 4 सदस्य कम होने के बाद भी सपा के पास 51 की संख्या रहेगी :-
बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्यों की संख्या 100 है । फिलहाल समाजवादी पार्टी के पास 55 सदस्य हैं । जिन 12 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें सपा के 6 सदस्य थे। उसे दो सदस्यों की जीत हो रही है । ऐसे में सपा को 4 सदस्यों का नुकसान हो रहा है। 30 जनवरी के बाद उच्च सदन में सपा के 51 सदस्य रह जाएंगे। तब भी विधान परिषद में बहुमत सपा का ही रहेगा। वहीं भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 32 और बसपा की घटकर छह हो जाएगी। तब सदन में कांग्रेस, शिक्षक दल व निर्दलीय समूह के दो-दो सदस्य होंगे। अपना दल (एस) का एक और दो दो निर्दलीय सदस्य होंगे। सपा एमएलसी बनवारी लाल यादव और एसआरएस यादव के निधन से दो सीटें रिक्त हैं। ऐसे में सपा अहमद हसन के लिए सभापति पद की दावेदारी करेगी। राज्यपाल ने वरिष्ठतम सदस्य के नाते अहमद हसन को प्रोटेम सभापति मनोनीत नहीं किया तो सपा नवनियुक्त प्रोटेम स्पीकर के खिलाफ संकल्प ला सकती है । सपा ने अहमद हसन को उम्रदराज होने के बावजूद पांचवीं बार परिषद भेजने का फैसला किया है। बता दें कि विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को खत्म हो रहा है। इन 12 सीटों के लिए ही यह चुनाव हो रहे हैं।
देशभर में केवल 6 राज्यों में ही विधान परिषद सदस्य होते हैं :-
आइए आपको बताते हैं विधान परिषद यानी एमएलसी क्या है । यह ठीक उसी तरह है जैसे केंद्र में राज्यसभा । यानी यह उच्च सदन माना जाता है जो कि कभी भंग नहीं होता है । विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल भी राज्यसभा की तरह 6 साल का तय है । (लेकिन विशेष परिस्थिति, किसी के निधन या अयोग्य होने पर रिक्त हुई सीटों पर इसके चुनाव समय से पहले हो सकते हैं । बता दें कि विधान परिषद सदस्य इन राज्यों में है । देश के 6 राज्यों यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही विधान परिषद है। यूपी में परिषद की कुल 100 सीटें हैं । उत्तर प्रदेश में एमएलसी पांच अलग-अलग तरीके से चुनकर पहुंचते हैं। 100 में से 36 सीट स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि के द्वारा चुनी जाती हैं । इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के सदस्य चुनकर आते हैं । वहीं 10 विधान परिषद सदस्य को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ के लिए होती है। बाकी बची 38 सीटों पर विधानसभा के विधायक के द्वारा चुनी जाती है। इसी कोटे की 12 सीटों पर यह विधान परिषद चुनाव हो रहे हैं ।