राजधानी देहरादून की भटनागर सभा ने विज्ञान स्वरूप भटनागर की अध्यक्षता में मानसिंह वाला में एक विशेष कार्यक्रम कर दिव्यंगत डाo शांति स्वरूप भटनागर को श्रद्धांजलि दी।
इस कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष रमेश भटनागर और महासचिव पीयूष भटनागर ने डॉ शांति स्वरूप भटनागर के समीप दीप प्रज्वलित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
बता दे कि इस दौरान विज्ञान स्वरूप भटनागर ने अपने संबोधन में बताया कि डॉ शांति स्वरूप भटनागर का देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अहम योगदान रहा। उन्होंने होमी जहांगीर भाभा, प्रशांत चंद्र महालनोबित, विक्रम अंबा लाल साराभाई जैसे महान वैज्ञानिकों के साथ कार्य कर चुके है।
ऐसे में संदीप भटनागर ने बताया कि डॉ भटनागर वैज्ञानिक और अनुसंधान परिषद के एक ऐसे संस्थान निदेशक रहे जो स्वतंत्र भारत में अनुसंधान के लिए एक प्रमुख संस्था बन गई। उन्होंने 12 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपको यह भी बता दें कि संस्था के महासचिव पीयूष भटनागर ने अपने संबोधन में कहा कि डॉक्टर भटनागर का जन्म 21 फरवरी 18 से 94 को पंजाब के शाहपुर जिले में हुआ उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद लंदन में यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त कर कई वैज्ञानिकों के साथ श्रोध किए।
ऐसे में बृजराज भटनागर ने उन्हें स्मरण करते हुए बताया कि डॉक्टर भटनागर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रथम अध्यक्ष भी रहे उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान विज्ञान निगम की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यहां आप यह भी जान लेगी डॉक्टर शांति स्वरूप भटनागर को भारत सरकार द्वारा पदम विभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है वही 1 जनवरी 1955 को उनका निधन हो गया था। उसके बाद 1957 से उनकी स्मृति में CSIR द्वारा शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की घोषणा की गई, जो कि विज्ञान के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाता है।
वही इस कार्यक्रम के दौरान उल्लास भटनागर, हिमेश भटनागर, नरेंद्र भटनागर, ज्ञानेंद्र भटनागर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।